लक्ष्य भी है, मंज़र भी है,
लक्ष्य भी है, मंज़र भी है, चुभता मुश्किलों का खंज़र भी है !! प्यास भी है, आस भी है, ख्वाबो का उलझा एहसास भी है !! रहता भी है, सहता भी है, बनकर दरिया सा बहता भी है!! पाता भी है, खोता भी है, लिपट लिपट कर रोता भी है !! थकता भी है, चलता भी है, कागज़ सा दुखो में गलता भी है !! गिरता भी है, संभलता भी है, सपने फिर नए बुनता भी है !!