Posts

Showing posts from July, 2021

जरा मिलते रहिए

हमें बिछड़े हुई मुद्दत् , जरा मिलते रहिए । दिल को मिलती रहे राहत्,ज़रा मिलते रहिए।। वो आप क्या गए! कि दिन गए बहारों के। मस्तियों-शोख़ियों भरे हसींन नज़ारों की । तन्हा-तन्हा है मुहब्बत्,ज़रा मिलते रहिए।। दिल को.... कितने अरमानों से बस्ती बसाई थी दिल की। मेरे सफ़र में आरज़ू नहीं थी, मन्ज़िल की । लहूलुहान है हसरत्,ज़रा मिलते रहिए।। दिल को.... ज़िन्दग़ी में अब तो पतझड़ का ही बसेरा है। जिधर भी देखिए, अन्धेरा ही अन्धेरा है । बड़ी ग़मगीन है तबियत्,ज़रा मिलते रहिए।। दिल को.... ग़र मुनासिब न लगे, मिलना सरे-महफ़िल में। हमें मिल लीजै इशारों मे, नज़र मे, दिल में। ..आनंद..करके कुछ फ़ितरत्,ज़रा मिलते रहिए।। दिल को...